मेरा भारत गुण्डों की जागीर नहीं. आगजनी, लूट, बलात्कार, पथराव पर हो सख्त कार्यवाही ( चुभती बात -- मनोज द्विवेदी, अनूपपुर)
मेरा भारत गुण्डों की जागीर नहीं.
आगजनी, लूट, बलात्कार, पथराव पर हो सख्त कार्यवाही
( चुभती बात -- मनोज द्विवेदी, अनूपपुर)
भारतीय राजनीति के तमाम नेताओं, सूरमाओं के किये , करे , कहे से मैं
जल्दी सहमत होता नहीं हूँ । लेकिन एन आर सी एवं कैब के विरुद्ध अलीगढ़
मुस्लिम विश्वविद्यालय के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय एवं
फिर लखनऊ के एक धर्म विशेष के छात्र - छात्राओं की आड में शान्तिपूर्ण
प्रदर्शन के नाम पर आगजनी, तोडफोड, हिंसा, पुलिस पर पथराव , पेट्रोल बमों
से हमले की जो गुण्डागर्दी की गयी , उस पर दो दिन बाद नींद से जागी
कांग्रेस की बहन प्रियंका वाड्रा की उस बात से मैं पहली बार सहमत हुआ हूं
कि हमारा भारत देश गुण्डों की जागीर नहीं है। ना ही सरकारी / पब्लिक
प्रॉपर्टी तुम्हारे बाप की संपत्ति ....जिसे जब चाहो , जैसे चाहो तोड दो,
आग लगा दो या लूट लो।
लोकतंत्र की सफलता
अभिव्यक्ति की आजादी, सवाल करने की स्वतंत्रता, निर्भीक मताधिकार व
कल्याणकारी सरकार की बुनियाद पर टिकी है। हिन्दुस्तान विश्व के सबसे
लोकतांत्रिक देशों मे शुमार है। विभिन्न भाषा भाषी ,जाति,संप्रदाय, पंथ के
लोग शान्ति पूर्ण ढंग से एकदूसरे के साथ सौहार्द पूर्ण तरीके से सदियों से
रह रहे हैं। राष्ट्रीयता,देशभक्ति ,संस्कृति, सद्भावना, समरसता कुछ ऐसे
आन्तरिक भाव हैं जो सभी को एक सूत्र मे जोडे हुए है। हमारी संपन्न
सांस्कृतिक धरोहर,इतिहास, सर्वधर्म समभाव हमारा गर्व भी है,ताकत भी।
पहले
मुगलों व फिर अंग्रेजों की सैकडों साल की दासता ने हमारे समाज को कमजोर
किया है। देश के बाहर व देश के भीतर अपने ही बीच कुछ तत्व ऐसे हैं जो
निरंतर उस वैचारिक, हिंसक, सांस्कृतिक षड्यंत्र का हिस्सा बनते रहे हैं
जिसने पूरी दुनिया को एक परिवार मानने की हमारी धारणा पर कुठाराघात किया
है। आजादी के बाद सत्ता को हाथ में लेने की होड ने विभिन्न भाषाई,धर्म
,जाति,प्रान्त के लोगों को जोडने की जगह छिन्न भिन्न करने का कार्य किया
है। नेशनल रजिस्टर फार सिटिजनशिप ( एन आर सी )
एवं नागरिकता संशोधन बिल ( कैब) के संसद के दोनो सदनों से पारित होने के
बाद पहले पूर्वोत्तर के राज्य , फिर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एवं
दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से प्रदर्शन के नाम पर
असंतोष की आग भडकाई गयी। छात्रों के बीच गैर छात्रों का प्रवेश , आन्दोलन
को हाईजैक कर ,हिंसक स्वरुप देना कहीं ना कहीं बडी गहरी राष्ट्र विरोधी
साजिश का हिस्सा लगता है। यह राजनैतिक दलों के बीच सत्ता के लिये वोट बैंक
की राजनीति से अलग संतुष्टिकरण की आड में छात्रों को भडकाकर देश को अराजकता
की आग में झॊंकने की साजिश है। एनडीए - 3 की
प्रचण्ड विजय के बाद नरेन्द्र मोदी ,अमित शाह की जोडी ने जिस मजबूती से 370
हटाकर पार्टी का घोषणापत्र धरातल पर लागू करने की योजना पर कार्य किया है।
श्री राम जन्मभूमि अयोध्या मामले पर सुप्रीम निर्णय ने भी देश के भीतर
बाहर अराजक तत्वों को बेचैन किया है। एन आर सी ,कैब
के विरोध में राजनैतिक दल असफल रहे । अचानक मुस्लिम विश्वविद्यालयों के साथ
कुछ अन्य विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं का आक्रामक तरीके से सडकों पर
प्रदर्शन चौंकाता जरुर है । लेकिन चिंता का विषय छात्र आंदोलन की आड में
सडकों पर होने वाली खुली हिंसा ,आगजनी, तोड जोड, सुरक्षा बलों पर पथराव
,पेट्रोल बमों से हमले की सुनियोजित घटनाएँ हैं ।आन्दोलन - प्रदर्शन के नाम
पर सडक पर लोग खुली गुण्डागर्दी करते दिखे। ऐसा जाट आन्दोलन के दौरान तब
देखने को मिला था जब भीड द्वारा हिंसा,लूट,आगजनी, तोडफोड के साथ सामूहिक
बलात्कार तक किया गया। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश
के बावजूद राज्य सरकारें ऐसे खूनी प्रदर्शनों को मॊन सहमति देकर निरीह
,शान्तिप्रिय जनता को इनके हवाले करती रही है। पश्चिम बंगाल में यात्री
ट्रेनों में पथराव, आगजनी ,लूट की गयी। रेलवे ट्रैक उखाडने की कोशिश हुई।
पश्चिम बंगाल सरकार जिस तरह से हिंसा रोकने में असफल रही है ,बहुत से सवाल
उठ खडे हुए हैं।अब जबकि कांग्रेस नेत्री
प्रियंका वाड्रा ने कहा है कि यह देश गुण्डों की जागीर नहीं है, तो मैं
उनका पूर्ण समर्थन करता हूँ । प्रदर्शन की आड मे खुले आम लूट , हिंसा,
आगजनी ,तोडफोड से करोडों - अरबों रुपये की संपत्ति नष्ट हो गयी । सडकें ,
रेलवे स्टेशन, विश्वविद्यालय, दुकानें , बाजार, संस्थान कुंठित गुण्डों की
बपॊती बन जाती हैं। देश के तमाम संस्थान असहाय ,मूक बन कर सिर्फ इन्हे
आतंक फैलाने, जनता पर शक्ति प्रदर्शन करने की खुली छूट दे देते हैं। समय
आ गया है कि अभिव्यक्ति, अधिकार,कर्तव्य एवं आतंक- गुण्डागर्दी में
स्पष्ट भेद करते हुए आतताईयों के विरुद्ध सख्त नीति पर कार्य हो। वोट
की मजबूरी को वोट की ताकत बनाया जाए। समय आ गया है कि देश के सभी राजनैतिक
दलों को इन गुण्डा अराजक संगठनों की ब्लैकमेलिंग से मुक्ति दिलाया जाए। यह सुनिश्चित हो कि जो व्यक्ति, संगठन, संस्थान अराजकता, गुण्डागर्दी,
हिंसा ,लूट, बलात्कार, आगजनी,सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का सिद्ध दोषी
पाया जाएगा ,उसे/ उन्हे मताधिकार से वंचित कर दिया जाए। ना वे वोट कर
पाएगें... ना उन्हे सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पाएगा। सरकारी- सार्वजनिक
संपत्ति देश की ताकत है, अराजक तत्व इसे नष्ट करते हैं, आगजनी करते हैं
,हिंसा करते हैं ( चाहे कारण जो हो) तो यह राष्ट्रद्रोह से कम नहीं है। समय
आ गया है,आतंक के साथ सडक पर फैल रही अराजकता, गुण्डागर्दी के विरुद्ध देश
एकजुटता से खडा हो, तभी वास्तविक लोककल्याणकारी, मजबूत देश का निर्माण
संभव है।
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